सर्व सेवा संघ प्रकाशन परिचय |
दुनियाभर में, हर तरह की क्रान्ति और आन्दोलन ने अपना साहित्य बनाया है और उसे जन-जन तक पहुँचाने का पराक्रम भी किया है। गांधी तो इस बारे में इतने सावधान थे कि अनगिनत पत्र और बयान लिखने, साक्षात्कार आदि देने के बाद भी कई भाषाओं में अपनी पत्रिका निकालते थे। उनसे ही हमने यह समझा-सीखा कि अगर अहिंसक क्रान्ति करनी है तो लोकशिक्षण उसका सबसे अनिवार्य पहलू होगा और उसके लिए अपना प्रकाशन होना जरूरी है।
इसलिए विनोबा जब भूदान आंदोलन की अपनी अप्रतिम क्रान्ति के एक-एक कदम तैयार कर रहे थे और उसके एक-एक पन्ने दुनिया के सामने खोल रहे थे, तब यह महसूस हुआ कि अहिंसक वैचारिक क्रान्ति के इन पन्नों को समेटने की बेहद जरूरत है। इसी में से सर्व सेवा संघ प्रकाशन का जन्म हुआ। |
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प्रकाशन के संचालक का कायर्भार ग्रहण करने वाले व्यक्तियों की सूची इस प्रकार है- |
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